भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सुनो हो भितरिया जी / नईम" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नईम |अनुवादक= |संग्रह=पहला दिन मेर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

15:42, 14 मई 2018 के समय का अवतरण

सुनो हो भितरिया जी! सुनो हो पुजारी जी!
हम तो भेड़ें प्रभु की, तुम हो दरबारी जी!!

समीचार सूखे के,
समीचार प्यासों के;

भिजवा दो समीचार
दहकते अकाशों के।

प्यासे आँचल के शिशु, भूखी महतारी जी!
सुनो हो भितरिया जी! सुनो हो पुजारी जी!!

लूट-पाट, बटमारी, कंजर ये सरकारी,
वज़न भी रखूँगा हूँ, अरज सुनो पर म्हारी।

सहमे ये नैनावद,
सहमी बनजारी जी!

प्रभु के लायक म्हारी बोली नी, बानी नी,
सामना करूँ कैसे, चेहरे पर पानी नी।

म्हारी झोपड़ियाँ हैं, आपकी अटारी जी!
सुनो हो भितरिया जी! सुनो हो पुजारी जी!!