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"कोरे सबद उचारे संतो / नईम" के अवतरणों में अंतर

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15:48, 14 मई 2018 के समय का अवतरण

कोरे सबद उचारे संतो!
कोरे सबद उचारे।

दीक्षाओं के समारोह ये,
मंत्रपाठ चौकस हंगामे,
बलि के आयोजन लिख दूँ
मैं किस श्रावक के नामें?

मूढ़ भगत, हिंसक परिपाटी,
डाल रहे जनमन पर डोरे।

सब दुकानदारी के मारे,
इनसे इनके प्रभुजी हारे,
दीन-दुखी कोढ़ी-अपंग के,
हो न सके ये कभी सहारे।

सम्मुख कुछ, कुछ और पीठ पर,
मनके काले, तन के गोरे;

बायीं हँसे, दाहिनी रोए,
कोई नहीं दूध के धोए,
सभ्य आचरण कपट करारे,
आक धतूरे रोपे, बोए।

देवदासियों से भी ज्यादा-
हैं इनके व्यवहार छिछोरे।
कोरे सबद उचारे संतो! कोरे सबद उचारे।