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"पानी बाबा आया / नईम" के अवतरणों में अंतर

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16:31, 14 मई 2018 का अवतरण

पानी बाबा आया
ककड़ी-भुट्टे लाया,
पानी बाबा आया।

नंग-धड़ंग फरिश्ते,
जाने कौन दिशा से,
भरते वो किलकारी
घर-आँगन में उतरे;

धरती धानी लाया,
पानी बाबा आया।

नन्हे-नन्हे बच्चे,
बाबा बूढ़ा बादल;
आँज रहा आँखों में
ठंडा-ठंडा काजल;

गलियों, चौपालों में
काशी-काबा लाया,
पानी बाबा आया

जात न पूछो ज्ञानी
नानी होती नानी;
पानी का क्या मजहब
पानी तो बस पानी।

बहुत दूर की लाया
कौड़ी कानी लाया।
पानी बाबा आया।