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"एक भूली बात-सी / नईम" के अवतरणों में अंतर

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16:41, 14 मई 2018 के समय का अवतरण

एक भूली बात-सी
फिर याद आईं तुम।

सूर्य माथे पर पसीना झिर रहा है,
पर तुम्हारा मेघ आँचल घिर रहा है;

दूर बस दो हाथ-सी
फिर याद आईं तुम।

दस्तकें दे रहीं यात्राएं दुआरों पर
चहलकदमी कर रहा हूँ मैं उसारों-भर;

बाम भागे साथ-सी
फिर याद आईं तुम।

नींद के आगोश में कब आ गया था?
किंतु अनुभव-खंड यह बिल्कुल नया था।

ठीक पिछली रात-सी
फिर याद आईं तुम,
एक भूली बात-सी
फिर याद आईं तुम।