भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"शंका समाधान / 8 / भिखारी ठाकुर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भिखारी ठाकुर |अनुवादक= |संग्रह=शं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

19:13, 16 मई 2018 के समय का अवतरण

वार्तिक:

चाहे उन लोगों ने मोह में पड़कर रेकार और अवगुण बताते हैं, जब शिवजी ब्रह्मा जी को मोह हुआ है। उन लोगों को मोह होना कौन-सी मुश्किल है।
दोहा

शिव बिरंचि कँह मोहई; को है बपुरा आन, असजिय जाति भजहिं मुनि, मायापति भगवान।

वार्तिक:

कोई-कोई तो मेरा बनाया हुआ किताब कुछ-कुछ दो-चार चीज इधर-उधर से मिला करके अपना नाम देकर के किताब छपवा कर बिक्री करते हैं। उन लोगों की हालत है जैसे-

चक्र वाक मन दुःख निशि पेखी। जिमि दुर्जन पर सम्पत्ति देखी॥