"शंका समाधान / 11 / भिखारी ठाकुर" के अवतरणों में अंतर
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वार्तिक:
मालूम होता है कि जे मेरा नाम को शिवजी समझकर के निन्दा छपवाने वाले सुमिरण करते हैं। राम कृष्ण चन्द्र को पंडित-साधु भजन करते हैं। वही राम के कवि लोग प्रेस से 'गोपाल गारी' किताब छपवा दिया है। रामचन्द्र जी को गाली-
' सुनहु राम दुल्ह मनभावना पावन रूप तुम्हारी,
पर एक बात सुनि हम ऐसी माई तुम्हारी छिनारी।
वैसे ही मेरा नाम निन्दा छपने वाले सुमिरन करते हैं। कह भी देते हैं जे भिखारी ठाकुर में कुछ नहीं है झुठमुठ को नाम किया है। उन्हें मालूम नहीं है जे नाम क्या चीज है। इसलिए मैं लिखता हूँ जे आप तुलसीकृत रामायण जी देखिय। निर्गुन-सर्गुन दोनों पक्ष से नाम का बेसी महातम दिया गया है।
दोहा
निरगुन तें एहि भाँति बड़, नाम प्रभाउ अपार।
कहउँ नामु बड़ राम तें, निज बिचार अनुसार।
रा।च।मा। बाल। 23
दोहा
ब्रह्म राम तें नामु बड़, बर दायक बर दानि।
रामचरित सत कोटि मँह, लिय महेश जियँ जानि॥
रा।च।मा। बाल। 22
दोहा
राम नाम नरकेसरी, कनककसिपु, कलिकालु।
जापक जन प्रहलाद जिमि पालिहिं दलि सुरसाल॥
रा।च।मा। बाल। 26