भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"शंका समाधान / 16 / भिखारी ठाकुर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भिखारी ठाकुर |अनुवादक= |संग्रह=शं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

19:21, 16 मई 2018 के समय का अवतरण

वार्तिक:

मैं अत्यन्तकर पापी हूँ। पहले लिख दिया हूँ।

' एह पापी के कवन पुण्य से भइल चहुँ-दिशि नाम।
भजन भाव के हाल न जनलीं सब से ठगलीं दाम।
बेरा पार लगा द राम॥'
आठ पहर सन्तावत मोहिके लोभ मोह मद काम।
पाकल केश नाम बिनु काया कंचन भइलन खाम।
बेरा पार लगा द राम॥