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"कएला छोड़ क जाइत हतऽ / हम्मर लेहू तोहर देह / भावना" के अवतरणों में अंतर

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कएला छोड़ क जाइत हतऽ
हमरा बनमा घोर में
पइसा के होड़ में न ....

मुखरा देखेला हम तरसब
बात तोहर सुनेला तड़पब
हम्मर ई आँख त हरदम
भीजल रहत लोर में
कएला छोड़ क जाइत हतऽ
हमरा बनमा घोर में ...

ननदी हमरा ताना मारत
आ सासू बढ़नी से मारत
गोतनी चढ़ा-उतरी करत
अधरतिया-भोर में
कएला छोड़ क आइत हतऽ
हमरा बनमा घोर में

तू अब नोकरी-चाकरी छोड़ऽ
एना आपन मुंह न मोड़ऽ
अब हम करब गुजारा
रुपइया-पइसा थोर में
कएला छोड़ क जाइत हतऽ
हमरा बनमा घोर में।