भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"विकल म्लान मन / रामइकबाल सिंह 'राकेश'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामइकबाल सिंह 'राकेश' |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:17, 18 मई 2018 के समय का अवतरण

विकल म्लान मन,
द्वन्द्वों में संलग्न बना निश्चेतन।

अन्तर्यामी अमृत तुम्हारे भीतर,
निर्मल चिदानन्दमय रस भर,
करता भुवन-भुवन में तम का नियमन।

पराशक्ति के प्रणवतार से गुम्फित,
आत्ममूल जो विकृति रहित नूतन नित,
बना ललाम किया तब उसने प्रजनन।

उठा कलुषतम के विषाद से आवृत,
मर्त्यभाव के अटल अंक में केन्द्रित
दुख-संशय के तन्तुजाल का गंुठन।