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"अन्तर्यामी सूत्र चिरतत्न / रामइकबाल सिंह 'राकेश'" के अवतरणों में अंतर
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अन्तर्यामी सूत्र चिरन्तन,
देशकाल का करता नियमन।
इदमित्थं से परे अलक्षित,
नित्य सर्वत नित्य अधिष्ठित,
महत् और अणु में अन्तर्हित,
सर्वान्तर का बना आयतन।
किरणकरों से कोण बनाता,
महासिन्धु में ज्वार उठाता,
घनमृदंग का नाद सुनाता,
खोल तड़ित का अरुणविलोचन।
लतागुल्मतृण कुसुमविर´्जित,
एक लहर कम्पन में स्पन्दित,
ऋत के रागों से परिभावित,
भुवन-भुवन का अन्तर्जीवन।