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"कंप्यूटर का गोरखधंधा / बालकृष्ण गर्ग" के अवतरणों में अंतर
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गदहे से यों कहा शेर ने
लगवाकर कंप्यूटर-
‘करो आज से यही काम तुम
बन जाओ आप्रेटर’।
गदहा बोला- ‘महाराज! क्यों
करते हैं शर्मिंदा,
मैं मूरख क्या जानूँ
कंप्यूटर का गोरखधन्धा?
[रचना: 10 सितंबर 1996]