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"कलियुग के चूहे / बालकृष्ण गर्ग" के अवतरणों में अंतर
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पूँछ कुतर डाली चूहों ने,
बिल्ली थी जब सोई;
तब मंदिर में जाकर वह
ईश्वर के आगे रोई।
ईश्वर बोले- ‘बचकर रह तू
कलियुग के चूहों से,
नहीं छोडते भोग-चढ़ावा
मेरा भी, मुँहझौंसे’।
[चमाचम, अप्रैल 1975]