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"जंगल की आवाज / बालकृष्ण गर्ग" के अवतरणों में अंतर

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गीदड़ ने अखबार निकाला-
‘जंगल की आवाज’,
जंगल के अंधे शासन के
उसमें खोले राज।
अपनी करनी सारी पढ़कर
शेर हुआ नाराज,
‘सारी प्रतियाँ जब्त करा दो’-
गरज उठा वनराज।

[नन्दन दिसंबर 1972]