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अफसर बंदर गरमी से जब
बहुत हुए बेहाल,
‘टूट’ करेंगे, इसी बहाने
पहुँच नैनीताल।
किन्तु वहाँ काले मुँह वाले
देखे जब लंगूर,
उल्टे पैरों भागे वापस,
भूल गए सब ‘टूर’।
[धर्मयुग, 11 मई 1975]