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"बंदरिया और स्कूटर / बालकृष्ण गर्ग" के अवतरणों में अंतर

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स्कूटर पर बंदर के पीछे
बंदरिया थी बैठी
पहली-पहली बार चढ़ी थी
खूब शान से ऐठी।
गड्ढे आए लगातार तो
लगा उछलने सकूटर,
घबराकर बोली-‘रोका जी,
मुझको लगता है डर’।

[बालक, मार्च 1974]