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"ओ हीरो के बाप / बालकृष्ण गर्ग" के अवतरणों में अंतर

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बंदर ने यूँ धमकाया-
‘ओ बेवकूफ बंदरिया,
समझ रही तू खुद को हेमा
या डिम्पल कापड़िया?
अब तक नखरे बहुत सहे
पर अब मैं नहीं सहूँगा,
तुझे छोड़, श्रीदेवी या
जूही से ब्याह करूँगा’।
कहा घुड़ककर बंदरिया ने-
‘ओ हीरो के बाप!
पहले अपनी शक्ल देख ले
शीशे में चुपचाप’।
[स्वतंत्र भारत (उपहार), 9 जुलाई 1992]