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"‘लेट’- लतीफा / बालकृष्ण गर्ग" के अवतरणों में अंतर

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कहा गधे ने पहुँच ‘शाप’ पर-
‘लेने आया मोल;
बड़िया से बादाम छाँटकर
पाँच किलो दे तोल!’
मुर्गा मेवे वाला बोला-
‘पहले जेब टटोल;
भाव पाँच सौ रुपए किलो है
कितने तोलूँ, बोल?’
[रचना: 27 सितंबर 1996]