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"‘बाई’ होली / बालकृष्ण गर्ग" के अवतरणों में अंतर

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आई होली; छाई होली।
साल हुआ गुम, पाई होली।
फागुन ताऊ, ताई होली।
‘सूट’ वसंती, ‘टाई’ होली।
रंग हजामत, नाई होली।
नाच-तमाशा, गाई ‘होली’।
मौज-मजे है, भाई होली।
भंग-मिठाई लाई होली।
‘बाल’ गई भुन ‘बाई’ होली!
[बाल-भारती, मार्च 1982]