भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जन्मदिन / उषा यादव" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उषा यादव |अनुवादक= |संग्रह=51 इक्का...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

16:32, 22 मई 2018 के समय का अवतरण

रोज जन्मदिन मेरा होता,
कितना अच्छा रहता।
माँ, हर दिन खुशियों का झरना,
अपने घर में बहता।

ढेर टाफ़ियाँ जेबों में भर,
सब पर शान जमाता।
मिले हुए उपहारों की ही,
गिनती कब कर पाता?

डांट न बिल्कुल पड़ती, ऊधम
चाहे जितने करता।
राजाजी की तरह शीश पर
मुकुट हमेशा धरता।