भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नई कहानी / संजीव ठाकुर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संजीव ठाकुर |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

09:49, 23 मई 2018 के समय का अवतरण

नानी, नानी, कहो कहानी
कहो कहानी, नहीं पुरानी

यह मत कहना
एक था राजा
उसके हुए थे बेटे सात
जिस पर मन गुस्साता था
उसको झट देते थे लात!

कहो न नानी नई कहानी
नई कहानी कहो न नानी?

यह मत कहना
एक था राक्षस
डरते थे उससे सब लोग
अस्सी मन से ज्यादा खाना
रोज लगता था वह भोग!

नई कहानी कहो न नानी?
कहो न नानी नई कहानी!

यह मत कहना
नील देश से आईं परियाँ
छम-छम-छम करती थीं नाच
उजले-उजले कपड़े पहने
पंख लगाए पूरे पाँच।

नई कहानी कहो न नानी
जिसमें हो जीवन की वाणी!