भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"यह शैतानी / यतींद्रनाथ राही" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=यतींद्रनाथ राही |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
12:31, 23 मई 2018 के समय का अवतरण
अभी समय है
बात समझ लो
बहुत हो गयी
यह नादानी
दीपक ऐसे नहीं
बुझा दें हमें
आँधियाँ फूंक मार कर
हम चलते हैं तो पर्वत भी
पंथ हमें देते
बुहार कर
जिसने
तुम्हें सिखाया चलना
रार उसी से
तुमने ठानी?
शिलाखण्ड हैं
बुनियादों के
धरते स्वर्ण-शिखर कन्धों पर
प्राणों को कर दिया समर्पित
संकल्पों के
अनुबंधों पर
हमने आँख तरेरी
तो फिर
कहाँ रहेगी
यह शैतानी?
बहुत पचाया ज़हर
कन्ठ में
अब मत छेड़ो
नेत्र प्रलय का
महाक्रूर ताण्डव होता है
महा शक्ति के महा उदय का
समय बुरा है
महानाश की
कर मत लेना
तुम अगवानी!
24.7.2017