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"क्या अजब उलटवासियां हैं / कमलकांत सक्सेना" के अवतरणों में अंतर
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क्या अजब उलटवासियाँ हैं
रानियाँ बनीं दासियाँ हैं।
मंदिरों में अकुलाहट है।
कहवों में खामोशियाँ हैं।
यंत्रों की चीखें, ग़ज़ल हैं
रागमय गीत मर्सिया हैं।
आपका भरोसा नहीं है
आपके नाम कुर्सियाँ हैं।
मस्ज़िदें भी झगड़ने लगीं
ये सुन्नी हैं, वे शिया हैं।
कुनबापरस्ती है कि ग़जब
हम कायस्थ, कुदेशिया हैं।