भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तुम तूफ़ान समझ पाओगे? / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन | |रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन | ||
− | |संग्रह= निशा | + | |संग्रह=निशा निमन्त्रण / हरिवंशराय बच्चन |
}} | }} | ||
15:41, 26 जुलाई 2008 का अवतरण
तुम तूफ़ान समझ पाओगे?
गीले बादल, पीछे रजकण,
सूखे पत्ते, रूखे तृण घन,
लेकर चलता करता 'हरहर'- इसका गान समझ पाओगे?
तुम तूफ़ान समझ पाओगे?
गंध-भरा यह मंद पवन था,
लहराता इससे मधुवन था,
सहसा इसका टूट गया जो स्वप्न महान, समझ पाओगे?
तुम तूफ़ान समझ पाओगे?
तोड़-मरोड़ विटप-लतिकाऍं,
नोच-खसोट कुसुम-कलिकाऍं,
जाता है अज्ञात दिशा को! हटो विहंगम, उड़ जाओगे!
तुम तूफ़ान समझ पाओगे?