"कविता कोश के बारह वर्ष" के अवतरणों में अंतर
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विभिन्न भाषाओं की पत्रिकाओं को एक इंटरनेट पर एक सरल और नि:शुल्क मंच उपलब्ध कराने के उद्देश्य से आरम्भ किए गए इस अनुभाग में अब 50 से अधिक पत्रिकाओं के 400 से अधिक अंक संकलित हैं और यह संकलन लगातार बढ़ रहा है। इस अनुभाग में हम पत्रिकाओं के दुर्लभ अंक भी उपलब्ध करा रहे हैं... यदि आपके पास पत्रिकाओं के (काफ़ी) पुराने अंक रखे हैं... तो आप इन अंको को साझा मंच तक अवश्य पहुँचाएँ ताकि ये अंक सभी को सुलभ हो सकें। आप अपने प्रकाशक मित्रों को भी साझा मंच के बारे में बताएँ ताकि वे भी इस मंच के ज़रिए नए पाठकों तक पहुँच सकें। | विभिन्न भाषाओं की पत्रिकाओं को एक इंटरनेट पर एक सरल और नि:शुल्क मंच उपलब्ध कराने के उद्देश्य से आरम्भ किए गए इस अनुभाग में अब 50 से अधिक पत्रिकाओं के 400 से अधिक अंक संकलित हैं और यह संकलन लगातार बढ़ रहा है। इस अनुभाग में हम पत्रिकाओं के दुर्लभ अंक भी उपलब्ध करा रहे हैं... यदि आपके पास पत्रिकाओं के (काफ़ी) पुराने अंक रखे हैं... तो आप इन अंको को साझा मंच तक अवश्य पहुँचाएँ ताकि ये अंक सभी को सुलभ हो सकें। आप अपने प्रकाशक मित्रों को भी साझा मंच के बारे में बताएँ ताकि वे भी इस मंच के ज़रिए नए पाठकों तक पहुँच सकें। | ||
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+ | ====गढ़वाली अनुभाग==== | ||
+ | कविता कोश स्वयंसेवी परियोजना सभी निस्वार्थ लोगों को अपने साथ जोड़ती है। बहुत से लोग हमसे जुड़ने की कोशिश करते हैं और हम सभी का स्वागत भी करते हैं; लेकिन बहुत कम लोग वास्तव में निस्वार्थ स्वयंसेवा के विचारानुसार लम्बे समय तक मेहनत कर पाते हैं। स्वयंसेवा करना और निस्वार्थ रहना सबसे नहीं हो पाता। जब कभी हमें मेहनती और जुनूनी स्वयंसेवी मिलते हैं तो कविता कोश उन्हें अधिकार भी देता है और पहचान भी देता है। | ||
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+ | कई अन्य भाषाओं की तरह गढ़वाली के लिए भी हमें लम्बे समय से किसी सम्पादक की तलाश थी। कई लोगों ने कहा कि वे इस काम को करेंगे लेकिन किया कुछ नहीं। ऐसे में एक ग़ैर-गढ़वाली भाषी नौजवान ने इस कार्य को करने का बीड़ा उठाया। | ||
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+ | अभिषेक कुमार अम्बर की आयु मात्र 18 वर्ष है और इन्हें कविता कोश के [[गढ़वाली]] अनुभाग का सम्पादक नियुक्त किया गया है। गढ़वाली अभिषेक की मातृभाषा नहीं है लेकिन अभिषेक ने इस भाषा के प्रति अपने प्रेम के कारण इसे सीखा है। कविता कोश में गढ़वाली अनुभाग स्थापित करने के लिए पहल करने का श्रेय अभिषेक और गीतेश सिंह नेगी को जाता है। | ||
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+ | ====कविता कोश रंगोली==== | ||
+ | इस वर्ष कोश में "रंगोली" शीर्षक से एक मल्टीमीडिया विभाग भी स्थापित किया गया। इस विभाग में हम ऑडियो, वीडियो और चित्रों का संकलन कर रहे हैं। | ||
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+ | ====साहित्यिक कार्यक्रम==== | ||
+ | पिछले एक वर्ष के दौरान कविता कोश ने देश के विभिन्न स्थानों पर [[कविता कोश के कार्यक्रम|साहित्यिक कार्यक्रमों]] का आयोजन किया। कोश ने अन्य व्यक्तियों और संस्थाओं को भी साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित करने में सहायता की। | ||
====कविता कोश कैलेण्डर==== | ====कविता कोश कैलेण्डर==== | ||
कविता कोश के स्वयंसेवकों ने वर्ष 2018 के लिए एक कैलेण्डर तैयार किया। हिन्दी साहित्य के बारे में शायद आज तक ऐसा भव्य कैलेण्डर नहीं बना है। दीवार और टेबल के लिए बने इस कैलेण्डर को सभी ओर से खूब प्रशंसा मिली। हज़ारों लोगों ने इस कैलेण्डर को लिया और इसके बदले कोश को सहायता राशि दी। "हिन्दी काव्य के मूर्धन्य हस्ताक्षर" शीर्षक से बने इस कैलेण्डर के बारह पन्नों पर बारह हिन्दी कवियों के चित्र और उनकी चुनी काव्य पंक्तियाँ दी गई हैं। यह कैलेण्डर देश के सभी भागों के अलावा विदेशों तक भी पहुँचा और स्वयंसेवकों की इस कोशिश को लोगों ने खूब सराहा। | कविता कोश के स्वयंसेवकों ने वर्ष 2018 के लिए एक कैलेण्डर तैयार किया। हिन्दी साहित्य के बारे में शायद आज तक ऐसा भव्य कैलेण्डर नहीं बना है। दीवार और टेबल के लिए बने इस कैलेण्डर को सभी ओर से खूब प्रशंसा मिली। हज़ारों लोगों ने इस कैलेण्डर को लिया और इसके बदले कोश को सहायता राशि दी। "हिन्दी काव्य के मूर्धन्य हस्ताक्षर" शीर्षक से बने इस कैलेण्डर के बारह पन्नों पर बारह हिन्दी कवियों के चित्र और उनकी चुनी काव्य पंक्तियाँ दी गई हैं। यह कैलेण्डर देश के सभी भागों के अलावा विदेशों तक भी पहुँचा और स्वयंसेवकों की इस कोशिश को लोगों ने खूब सराहा। | ||
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राहुल शिवाय द्वारा सम्पादन और कुमार अमित के बनाए कवर से सजा गीत संकलन "गीत गुनगुनाएँ फिर से" भी इस वर्ष प्रकाशित किया गया। नए काव्य रचनाकारों को प्रोत्साहन देने के लिए कविता कोश द्वारा प्रकाशित इस संकलन वरिष्ठ और नवोदित 80 गीतकारों को स्थान दिया गया है। | राहुल शिवाय द्वारा सम्पादन और कुमार अमित के बनाए कवर से सजा गीत संकलन "गीत गुनगुनाएँ फिर से" भी इस वर्ष प्रकाशित किया गया। नए काव्य रचनाकारों को प्रोत्साहन देने के लिए कविता कोश द्वारा प्रकाशित इस संकलन वरिष्ठ और नवोदित 80 गीतकारों को स्थान दिया गया है। | ||
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====नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2018 में भागीदारी==== | ====नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2018 में भागीदारी==== | ||
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कविता कोश ने विश्व पुस्तक मेले में 7 जनवरी को 4:15 बजे मुक्तिबोध के व्यक्तित्व और कृतित्व पर एक चर्चा आयोजित की। इस चर्चा में [[लीलाधर मंडलोई|लीलाधर मंडलोई जी]], [[मदन कश्यप|मदन कश्यप जी]], [[सुमन केशरी|सुमन केशरी जी]] और [[अशोक कुमार पाण्डेय|अशोक कुमार पाण्डेय जी]] ने भाग लिया। चर्चा का संचालन सईद अय्यूब ने किया। | कविता कोश ने विश्व पुस्तक मेले में 7 जनवरी को 4:15 बजे मुक्तिबोध के व्यक्तित्व और कृतित्व पर एक चर्चा आयोजित की। इस चर्चा में [[लीलाधर मंडलोई|लीलाधर मंडलोई जी]], [[मदन कश्यप|मदन कश्यप जी]], [[सुमन केशरी|सुमन केशरी जी]] और [[अशोक कुमार पाण्डेय|अशोक कुमार पाण्डेय जी]] ने भाग लिया। चर्चा का संचालन सईद अय्यूब ने किया। | ||
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इसी दिशा में एक छोटा-सा कदम बढ़ाते हुए हमनें विश्व पुस्तक मेले के दौरान "लोकरंग" नामक एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में विभिन्न भाषाओं के गीतों/कविताओं का सस्वर पाठ किया गया। इसमें राजस्थानी, हरियाणवी, अंगिका, मैथिली, भोजपुरी, ब्रजभाषा, बज्जिका, पंजाबी और अवधी की रचनाओं का पाठ हुआ। | इसी दिशा में एक छोटा-सा कदम बढ़ाते हुए हमनें विश्व पुस्तक मेले के दौरान "लोकरंग" नामक एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में विभिन्न भाषाओं के गीतों/कविताओं का सस्वर पाठ किया गया। इसमें राजस्थानी, हरियाणवी, अंगिका, मैथिली, भोजपुरी, ब्रजभाषा, बज्जिका, पंजाबी और अवधी की रचनाओं का पाठ हुआ। | ||
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14:36, 4 जुलाई 2018 का अवतरण
कविता कोश आज अपनी स्थापना के बारह वर्ष पूरे कर रहा है। स्वयंसेवा पर आधारित इस अद्भुत परियोजना के लिए यह वर्ष बहुत महत्त्वपूर्ण और अद्वितीय रहा। इस वर्ष स्वयंसेवकों ने कविता कोश के लिए अनेकों ऐसे कार्य किए जो पहले कभी नहीं किए गए। यह वर्ष हम सभी स्वयंसेवकों के लिए सर्वाधिक व्यस्त और सफलताओं से भरपूर रहा। इस वर्ष कविता कोश परियोजना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि यदि लोग मिल-जुल कर निस्वार्थ भाव से कार्य करें तो कम संसाधनों में भी बड़े कार्य पूरे किए जा सकते हैं।
आइये एक नज़र डालते हैं इस बारहवें वर्ष की उपलब्धियों पर:
विषय सूची
हज़ारों नए पन्नें
इस वर्ष कोश में 11,000 से अधिक नए पन्नें जोड़े गए। इस समय कोश में उपलब्ध पन्नों की कुल संख्या 1,23,598 है। इस सामग्री को कोश में संजोने में शारदा सुमन, ललित कुमार, अनिल जनविजय और राहुल शिवाय का प्रमुख योगदान रहा। इस समय कोश में सर्वाधिक पन्नें जोड़ने वाले स्वयंसेवक इस प्रकार हैं:
- अनिल जनविजय (25449 पन्नें)
- शारदा सुमन (23170 पन्नें)
- ललित कुमार (16851 पन्नें)
- धर्मेन्द्र कुमार सिंह (9436 पन्नें)
- प्रतिष्ठा शर्मा (6589 पन्नें)
- आशिष पुरोहित (6371 पन्नें)
- सृजनबिन्दु टीम (4232 पन्नें)
- राहुल शिवाय (4128 पन्नें)
- अशोक शुक्ल (3756 पन्नें)
- नीरज दइया (3045 पन्नें)
ई-पुस्तक अनुभाग
लम्बे समय से बहुत से रचनाकार अनुरोध करते रहे हैं कि कविता कोश को एक ई-पुस्तक अनुभाग भी आरम्भ करना चाहिए ताकि PDF प्रारूप में भी साहित्य को सुरक्षित किया जा सके। इस वर्ष कविता कोश के स्वयंसेवकों ने यह अनुभाग स्थापित कर दिया है और इसमें लगातार सभी भाषाओं की पुस्तकें संजोने का कार्य चल रहा है।
साझा मंच
विभिन्न भाषाओं की पत्रिकाओं को एक इंटरनेट पर एक सरल और नि:शुल्क मंच उपलब्ध कराने के उद्देश्य से आरम्भ किए गए इस अनुभाग में अब 50 से अधिक पत्रिकाओं के 400 से अधिक अंक संकलित हैं और यह संकलन लगातार बढ़ रहा है। इस अनुभाग में हम पत्रिकाओं के दुर्लभ अंक भी उपलब्ध करा रहे हैं... यदि आपके पास पत्रिकाओं के (काफ़ी) पुराने अंक रखे हैं... तो आप इन अंको को साझा मंच तक अवश्य पहुँचाएँ ताकि ये अंक सभी को सुलभ हो सकें। आप अपने प्रकाशक मित्रों को भी साझा मंच के बारे में बताएँ ताकि वे भी इस मंच के ज़रिए नए पाठकों तक पहुँच सकें।
गढ़वाली अनुभाग
कविता कोश स्वयंसेवी परियोजना सभी निस्वार्थ लोगों को अपने साथ जोड़ती है। बहुत से लोग हमसे जुड़ने की कोशिश करते हैं और हम सभी का स्वागत भी करते हैं; लेकिन बहुत कम लोग वास्तव में निस्वार्थ स्वयंसेवा के विचारानुसार लम्बे समय तक मेहनत कर पाते हैं। स्वयंसेवा करना और निस्वार्थ रहना सबसे नहीं हो पाता। जब कभी हमें मेहनती और जुनूनी स्वयंसेवी मिलते हैं तो कविता कोश उन्हें अधिकार भी देता है और पहचान भी देता है।
कई अन्य भाषाओं की तरह गढ़वाली के लिए भी हमें लम्बे समय से किसी सम्पादक की तलाश थी। कई लोगों ने कहा कि वे इस काम को करेंगे लेकिन किया कुछ नहीं। ऐसे में एक ग़ैर-गढ़वाली भाषी नौजवान ने इस कार्य को करने का बीड़ा उठाया।
अभिषेक कुमार अम्बर की आयु मात्र 18 वर्ष है और इन्हें कविता कोश के गढ़वाली अनुभाग का सम्पादक नियुक्त किया गया है। गढ़वाली अभिषेक की मातृभाषा नहीं है लेकिन अभिषेक ने इस भाषा के प्रति अपने प्रेम के कारण इसे सीखा है। कविता कोश में गढ़वाली अनुभाग स्थापित करने के लिए पहल करने का श्रेय अभिषेक और गीतेश सिंह नेगी को जाता है।
कविता कोश रंगोली
इस वर्ष कोश में "रंगोली" शीर्षक से एक मल्टीमीडिया विभाग भी स्थापित किया गया। इस विभाग में हम ऑडियो, वीडियो और चित्रों का संकलन कर रहे हैं।
साहित्यिक कार्यक्रम
पिछले एक वर्ष के दौरान कविता कोश ने देश के विभिन्न स्थानों पर साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन किया। कोश ने अन्य व्यक्तियों और संस्थाओं को भी साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित करने में सहायता की।
कविता कोश कैलेण्डर
कविता कोश के स्वयंसेवकों ने वर्ष 2018 के लिए एक कैलेण्डर तैयार किया। हिन्दी साहित्य के बारे में शायद आज तक ऐसा भव्य कैलेण्डर नहीं बना है। दीवार और टेबल के लिए बने इस कैलेण्डर को सभी ओर से खूब प्रशंसा मिली। हज़ारों लोगों ने इस कैलेण्डर को लिया और इसके बदले कोश को सहायता राशि दी। "हिन्दी काव्य के मूर्धन्य हस्ताक्षर" शीर्षक से बने इस कैलेण्डर के बारह पन्नों पर बारह हिन्दी कवियों के चित्र और उनकी चुनी काव्य पंक्तियाँ दी गई हैं। यह कैलेण्डर देश के सभी भागों के अलावा विदेशों तक भी पहुँचा और स्वयंसेवकों की इस कोशिश को लोगों ने खूब सराहा।
गीत गुनगुनाएँ फिर से
राहुल शिवाय द्वारा सम्पादन और कुमार अमित के बनाए कवर से सजा गीत संकलन "गीत गुनगुनाएँ फिर से" भी इस वर्ष प्रकाशित किया गया। नए काव्य रचनाकारों को प्रोत्साहन देने के लिए कविता कोश द्वारा प्रकाशित इस संकलन वरिष्ठ और नवोदित 80 गीतकारों को स्थान दिया गया है।
नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2018 में भागीदारी
कविता कोश ने नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2018 में भागीदारी करते हुए एक स्टॉल स्थापित किया। इस स्टॉल पर कैलेण्डर और गीत संकलन उपलब्ध रहे। यह स्टॉल कविता कोश के बारे में लोगों को जानकारी देने का एक उत्तम साधन सिद्ध हुआ।
"चाँद का मुँह टेढ़ा है"
कविता कोश ने विश्व पुस्तक मेले में 7 जनवरी को 4:15 बजे मुक्तिबोध के व्यक्तित्व और कृतित्व पर एक चर्चा आयोजित की। इस चर्चा में लीलाधर मंडलोई जी, मदन कश्यप जी, सुमन केशरी जी और अशोक कुमार पाण्डेय जी ने भाग लिया। चर्चा का संचालन सईद अय्यूब ने किया।
कविता कोश लोकरंग
कविता कोश सभी भाषाओं के काव्य का एक महासागर है... विभिन्न भाषाओं के प्रति अनुराग रखने वाले स्वयंसेवक कविता कोश के विभिन्न भाषा विभागों को परिवर्धित करते हैं। स्वयंसेवकों के इस श्रम को रेखांकित करने के लिए हम बहुत समय से एक कार्यक्रम करना चाहते थे जिसमें विभिन्न भाषाओं के गीतों की मिठास को एक साथ घोला जा सके।
इसी दिशा में एक छोटा-सा कदम बढ़ाते हुए हमनें विश्व पुस्तक मेले के दौरान "लोकरंग" नामक एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में विभिन्न भाषाओं के गीतों/कविताओं का सस्वर पाठ किया गया। इसमें राजस्थानी, हरियाणवी, अंगिका, मैथिली, भोजपुरी, ब्रजभाषा, बज्जिका, पंजाबी और अवधी की रचनाओं का पाठ हुआ।