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"इस लोकतंत्र में / पंकज चौधरी" के अवतरणों में अंतर

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16:53, 10 जुलाई 2018 के समय का अवतरण

क्या सबको रोजी मिल गई?
क्या सबको रोटी मिल गई?
क्या सबकी छत तन गई?
क्या सबके तन ढंक गए?
क्या सबके मन भर गए?
क्या सबका मान हो गया?
क्या सबको सम्मान मिल मिल गया?
क्या सबको प्यार मिल गया?
क्या सबके मन से डर भाग गया?
क्या सबको इन्साफ मिल गया?
क्या सबकी बेबसी कम गई?
क्या सबकी बेकसी कम गई?

अगर नहीं
तो कहां है आवाज?
कहां है आंदोलन?
कहां है विरोध?
कहां है जुलूस?
कहां है धरना?
कहां है प्रदर्शन?
कहां है हड़ताल?

क्यों है इतना सन्नाटा?
क्यों सबकी बोलती बंद हो गई?