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"खण्ड-खण्ड पाखण्ड / पंकज चौधरी" के अवतरणों में अंतर

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16:58, 10 जुलाई 2018 के समय का अवतरण

देश के नामी-गिरामी बुद्धिजीवी हैं वे
अंग्रेजी में भी उतनी ही तत्परता से लिखते हैं वे
जितनी तत्परता से हिंदी में वे
देसी-विदेशी बीस भाषाओँ पर
जोरदार पकड़ रखते हैं वे
दुनियाभर की एक सौ पचास पत्र-पत्रिकाओं में
एक साथ छपते हैं वे
टीवी चैनलों के लाडले हैं वे
समाज, राजनीति, इतिहास, आर्थिकी
दर्शन और संस्कृति के आधिकारिक विद्वान हैं वे
फोर्ड फाउंडेशन से भी फैलोशिप ले चुके हैं वे
ऑक्सफ़ोर्ड और हॉवर्ड में
बराबर व्याख्यान देते रहते हैं वे
कई राज्य सरकारों के थिंक-टैंक के अगुवा हैं वे
असंख्य कमेटियों, आयोगों के भी प्रधान हैं वे

इतना ही नहीं
ईमानदारी और नैतिकता के प्रकाशपुंज हैं वे
जाति-निरपेक्षता, धर्म-निरपेक्षता और लिंग-निरपेक्षता
के तो मानो साक्षात प्रतिमूर्ति हैं वे

लेकिन चुनाव जितने के लिए
अपनी जाति-बहुल कांस्टिटुएंसी को चुनते हैं वे!