"संगठन / पंकज चौधरी" के अवतरणों में अंतर
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ब्राह्मण
ब्राह्मण के नाम पर
हत्यारे को नायक कह देता है
भूमिहार
भूमिहार के नाम पर
बूचर को दूसरा गांधी कह देता है
राजपूत
राजपूत के नाम पर
बलात्कारी को क्लीन चिट देने लगता है
कायस्थ
कायस्थ के नाम पर
भ्रस्टाचारी को संत कहने लगता है
बनिया
बनिया के नाम पर
यत्र-तत्र मूतने लगता है
जाट
जाटों के नाम पर
खापों को न्यायसंगत ठहराने लगता है
गुर्जर
गुर्जर के नाम पर
सर फोड़ देता है
यादव
यादव के नाम पर
अपराधियों की दुहाई देने लगता है
कुर्मी
कुर्मी के नाम पर
बस्तियां उजाड़ देता है
कोयरी
कोयरी के नाम पर
खून का प्यासा हो जाता है
चमार
चमार के नाम पर
अछूतानंद को दलितों का सबसे बड़ा कवि मानने लगता है
खटिक
खटिक के नाम पर
उदितराज को सबसे बड़ा दलित नेता मानता है
पासवान
पासवान के नाम पर
रामविलास पासवान को एकमुश्त वोट दे देता है
वाल्मीकि
वाल्मीकि के नाम पर
वाल्मीकियों को ही असली दलित मानता है
और मीणा
मीणा के नाम पर
आदिवासियों का सारा डकार जाता है
अब सवाल यह पैदा होता है
कि क्या भारत में
"जाति" से भी बड़ा कोई संगठन है?