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"मां / पंकज चौधरी" के अवतरणों में अंतर
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मां और बच्चा के बीच में
यह खेल
बहुत देर से चल रहा है
मां बार-बार अपनी ओढ़नी को
छाती पर संभालती है
लेकिन बच्चा है कि हरेक बार
ओढ़नी को छाती पर से गिरा देता है
और लगता है वह खिल-खिलाकर हंसने
मां बस बच्चा को
आंख भर दिखा देती है
बच्चा कई शरारतों के बीच
एक शरारत और कर बैठता है
इस बार वह
अपनी मां के बाल को
जोर से तिर देता है
मां थोड़ा-सा चिंघाड़ उठती है
और हल्की-सी चपत
अपने लाडले को लगा देती है
बच्चा रोने का नाटक शुरू करता है
अपने लाडले को रोता देख
मां की आंखों में आंसू छलछला आते हैं
और लगती है वह
अपने लाडले को ताबड़तोड़ चूमने!