भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तहखाना अपने लिए / अंजना वर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

14:10, 28 जुलाई 2018 के समय का अवतरण

अपनी जगह पहचान लेती है लड़की
एक कदम पीछे रहती है वह
आगे जाने का मौका
दे देती है लड़कों को
स्वीकार कर लेती है हँसकर
तहखाना अपने लिए
आसमान दे देती है लड़के को