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"तहखाना अपने लिए / अंजना वर्मा" के अवतरणों में अंतर
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अपनी जगह पहचान लेती है लड़की
एक कदम पीछे रहती है वह
आगे जाने का मौका
दे देती है लड़कों को
स्वीकार कर लेती है हँसकर
तहखाना अपने लिए
आसमान दे देती है लड़के को