भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"छूटी लटैं अलबेली-सी चाल / प्रवीणराय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रवीणराय |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavi...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

14:55, 29 जुलाई 2018 के समय का अवतरण

छूटी लटैं अलबेली-सी चाल भरे मुखपान खरी कटि छीनी।
चोरि नकारा उघारे मोहन हेरि रही जु प्रबीनी॥
बात निशंक कडै अति मोहि सों मोहिं सों प्रीति निरंतर कीनी।
छोड़ि महानिधि लोग की हित मेरो सो क्याँ बिसरै रस-भीनी॥