"लोटवा / प्रभात कुमार सिन्हा" के अवतरणों में अंतर
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दुनिया में एक अजूबा नीति कायम हुई अपुन बिहार में
अब तक वह कारगर है
ऐसी नीति खचड़ा होने के बावजूद
मैकाले नहीं दे पाया था
इस मुकाबले में कोठारी साहब भी लंगड़े हो गये
आचार्य राममूर्त्ति भी टुकुर-टुकुर देखते रह गये
उसे लोटा मिसर ने कर दिखाया
मुफ़्त की उच्च शिक्षा नीति बनायी लोटवा ने
नाम दिया "वित्तरहित शिक्षा नीति"
लाखों पढ़े-लिखे नौजवानों को प्रलोभन देते हुए
इस नीति के गैस-चैम्बर में झोंक दिया
मुफ़्त में पाठन करते हुए रिटायर हो गये शिक्षाविद्
बहुत से काल-कवलित हो गये
जो जिन्दा हैं उन्हें हुक्का पीने की भी औकात नहीं है
पर लोटवा जिन्दा है घी पी रहा है
बड़ा निर्मोही निकला लोटवा
स्वयं चपोदंड पेलते हुए जेल-वेल भी जाता रहा
वहाँ भी चैन की बांसुरी फूंकता रहा
अपनी बांसुरी में उसने आठवां छेद बना रखा था
उसी छेद से निकाला था—
अपनी नाभि के नीचे वाला कार्टिलेजी अंगूठा
उसी का नाम दिया था "वित्तरहित शिक्षा नीति"
बिहारी राजनीति का अपूर्व हिस्सा बना रहा लोटवा
लोटवा की नीति अब भी लागू है
आजकल मानवाधिकार जपता है
शिक्षा-जगत का कोहिनूर बना रहा लोटवा
अमर रहेगा लोटवा का नाम दशानन की तरह।