"माया-महल / अशोक कुमार" के अवतरणों में अंतर
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मायासुर ने बनाया
यह कौन-सा महल
जो सच था वह झूठ दिखता था
मायासुर ने बनायी
कौन-सी नगरी
कि वह पूरी की पूरी सच दिखती थी
जबकि वह मिथ्या थी
मायासुर की क्या ज़रूरत थी
कि कृष्ण को लगे
पांडवों को एक छद्म माया-सभा की दरकार है
क्यों लगा पांडवों को
कि सत्य का इन्द्रप्रस्थ भी
असत्य का दरबार है
मायासुर को क्यों
ऐसे शिल्प की आवश्यकता थी
कि जहाँ फर्श सुसज्जित हो
वहाँ पानी हो
मायासुर को क्यों निर्देशित किया गया
कि जहाँ पानी हो
वह कठोर फर्श दिखे
कृष्ण तुम सच बतलाना
सत्य की प्रतिमूर्ति युधिष्ठिर को
क्या ज़रूरत आन पड़ी थी
कि वह एक तरल असत्य बोले
ज़िन्दगी में एक बार
कृष्ण जब तुम चुप रहे गीता में
तो यह भी बतलाना
कि सत्य के दारोमदारों को
क्या दरकार थी
कि सच के महल में
दीवारें और फर्श
झूठ की बुनियाद पर टिकी हों!
