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"जमीन के बाहर / अशोक कुमार" के अवतरणों में अंतर

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11:31, 15 अगस्त 2018 के समय का अवतरण

मैंने पेड़ से कहा
तुम जमीन छोड़ चुके हो
और अब तुम उजड़े हुए गाँव के बाशिन्दे हो

मैंने पेड़ से कहा
तुम्हारी जड़ें उथली हैं
जमीन भी उन्हें स्वीकार नहीं करती अब

पेड़ ने कहा
तुम भी तो अपनी जमीन छोड़ चुके हुए हो
और तुम भरे पूरे गाँव के भी बाशिन्दे कहाँ हो

पेड़ ने कहा
अब तो जमीन ही छोड़ देती है हमारी जड़ें
देखो एक दिन उखड़ोगे
तुम भी
मैं भी।