भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"प्रशंसा / अशोक कुमार" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक कुमार |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

11:35, 15 अगस्त 2018 के समय का अवतरण

उसने मुझे शेर की तरह ताकतवर बताया
चीते की तरह तेज

उसने हिरन से फुर्तीला कहा मुझे
और कहा कि
हाथी जैसी है तुम्हारी याददाश्त

वह जब खुश था
मेरी प्रशंसा कर रहा था

मैं मन ही मन
उसकी नाराजगी से डर रहा था।