भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पसीना और शब्द / जितेन्द्र सोनी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जितेन्द्र सोनी |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

17:23, 18 अगस्त 2018 के समय का अवतरण

यदि तुम्हारे शब्द
लुहार के मुँह में रखे
नमक के ढेले से
गले में उतरते
कड़वेपन
और धौंकनी की
आग में
रक्ततप्त हो चुके लोहे से
आगे निकलकर
विरोध की तपिश
आलोचनाओं का खारापन
झेलकर
कविता बुन सकते हैं
तो यक़ीनन
तुम्हारे पसीने का स्वाद
लुहार के पसीने
जैसा होगा
वरना
ना तो हर नमकीन पानी
पसीना होता है
और ना ही
तुरपे गए शब्द
कविता !!