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"जीवन-मृत्यु / पल्लवी त्रिवेदी" के अवतरणों में अंतर
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मृत्यु के ठीक एक क्षण पूर्व जागी कामनाएं जीवन का जलसा है
सबसे खुले कहकहों के बीच मर जाने की इच्छा मृत्यु की विराटता है
जीवन एक कठोर पिता है
जीना सिखाने का भ्रम पैदा करके
मृत्यु सिखाता हुआ
मृत्यु एक करुण और उदार माँ
हर बार बाहों में लेकर जीवन को सौंपती हुई
हम और कुछ नहीं..
दो भव्य घटनाओं की बार-बार जन्मती सन्तान हैं