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"जीवन की सीख / नंदेश निर्मल" के अवतरणों में अंतर

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बच्चों जब कक्षा में जाओ
मन से पढ़ कर पाठ बनाओ
पाठ पढ़ावे जब शिक्षक तो
खूब लगन से ध्यान लगाओ।

बच्चों जब कक्षा में जाओ
मन से पढ़ कर पाठ बनाओ।

घर से जब विद्यालय चलते
कहीं अलग मत पाँव बढ़ाओ
करो नहीं तुम उच्छृंखालता
बस पढ़ना है, साध बनाओ

बच्चों जब कक्षा में जाओ
मन से पढ़ कर पाठ बनाओ।

जो बच्चे सज्जन हैं होते
झूठ कभी वह नहीं बोलते
सच पर कायम अडिग चाह से
अपनी सीढ़ी आप बनाओ।

बच्चों जब कक्षा में जाओ
मन से पढ़ कर पाठ बनाओ।

वह दिन तुमसे दूर नहीं
जब लोग तुझे विद्वान कहेंगें
यही साधना की बेला है
खूब जतन से ज्ञान बढ़ाओ।

बच्चों जब कक्षा में जाओ
मन से पढ़ कर पाठ बनाओ।

गुरू की वाणी अमृत होती
इसे गृहण तुम करते रहना
शिष्टाचार सभी से करते
आदर के तुम भाव जगाओ।

बच्चों जब कक्षा में जाओ
मन से पढ़ कर पाठ बनाओ।