भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दया / नंदेश निर्मल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदेश निर्मल |अनुवादक= |संग्रह=चल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

17:39, 3 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

दयावान जो बच्चे होते
लाचारों की सेवा करते
सहपाठी में घुल-मिल करके
सेवा का वृत करते रहते।

दयावान जो बच्चे होते
लाचारों की सेवा करते।

पढ़ो-लिखो पर साथ-साथ में
जन-सेवा की आदत डालो
कल कंधा तुम बनो विपत के
बापू भी तो थे यह कहते।

द्यावान जो बच्चे होते
लाचारों की सेवा करते।
देश अहिंसक यह भारत है
कभी नहीं तुम हिंसा करना
अमन दूत का पाठ पढ़ाते
चाचा नेहरू थे यह कहते।

दयावान जो बच्चे होते
लाचारों की सेवा करते।
  
चलो आज ही यह ठानें हम
हर प्राणी से द्या करेंगे
पौधे, पक्षी ओ पशुओं की
अच्छे लोग हिफाजत करते।

दयावान जो बच्चे होते
लाचारों की सेवा करते।