भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पूछता, पाता न उत्‍तर / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन }} पूछता, पाता न उत्‍तर! जब चला जाता उज...)
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
 
|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
 +
|संग्रह=एकांत-संगीत / हरिवंशराय बच्चन
 
}}
 
}}
 
  
 
पूछता, पाता न उत्‍तर!
 
पूछता, पाता न उत्‍तर!

15:55, 26 जुलाई 2008 का अवतरण

पूछता, पाता न उत्‍तर!


जब चला जाता उजाला,

लौटती जब विहग-माला

"प्रात को मेरा विहग जो उड़ गया था, लौट आया?-"

पूछता, पाता न उत्‍तर!


जब गगन में रात आती,

दीप मालाएँ जलाती,

"अस्‍त जो मेरा सितसरा था हुआ, फिर जगमगाया?-"

पूछता, पाता न उत्‍तर!


पूर्व में जब प्रात आता,

भृंग-दल मधुगीत गाता,

"मौन जो मेरा भ्रमर था हो गया, फिर गुनगुनाया?-"

पूछता, पाता न उत्‍तर!