भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"लाई फोड़ोनी / बैगा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKLokRachna |भाषा=बैगा |रचनाकार= |संग्रह= }} <poem> तरी नानी नानी...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

19:47, 3 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

बैगा लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

तरी नानी नानी नानरे नानी, तरी नानी नानारे नान।
तरी नानी नानी नानरे नानी, तरी नानी नानारे नान।
ढिमीरिना टूरिना होतेव, ओ दाई फोड़तेव चना को लाई।
हो ए, ओ दाई, भूमनिया टूरिया फोड़ थौ लोड़ा को लाई॥
नय तिपाय दाई खपरी तुम्हारे, नय फूटय को लाई।

शब्दार्थ – टूरिया=लड़की, होतेव=होती, लाई=धनी/तिली/बिओरी चने का फूटा/मक्का की धानी या लाई जो भाड़ में सेकी जाती हैं।

दुल्हन माँ की गोद में बैठती है। और लाई फोड़ रही है। माँ से कहती है- अगर मैं ढीमर की लड़की होती तो चना की लाई फोड़ती, लेकिन मैं तो बैगा लड़की हूँ, इसलिए मुझे मक्का की लाई (धानी) फोड़नी पड़ रही है। ऐसा कहते वह रोने लगती हैं। उसे देखकर दुल्हन की माँ भी रोने लगती है। माँ कहती है- बेटी! यह बताकर तूने मुझे ही रूला दिया। तू फिक्र मत कर, तेरा विवाह अच्छे तरीके से होगा। तेरे पिता तेरे विवाह की सारी व्यवस्था कर रहे हैं। तुझे चिंता करने की जरूरत नहीं है।