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भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हिल मिल पाळनो बंधाड़ो मारा शिवाजी।
आज मारो सोनीड़ा रोवऽ सारी रात।
मामा दाजी की नजर लागी मारा सोनीड़ा,
रोवऽ सारी रात।
हिल मिल पाळनो बंधाड़ो मारा शिवाजी।
आज मारो सोनीड़ा रोवऽ सारी रात।
सगी जिमाय की नजर लागी मारा सोनीड़ा,
रोवऽ सारी रात।
हिल मिल पाळनो बंधाड़ो मारा शिवाजी।
आज मारो सोनीड़ा रोवऽ सारी रात।
मामा की नजर लागी मारा सोनीड़ा,
रोवऽ सारीरात।
हिल मिल पाळनो बंधाड़ो मारा शिवाजी।
आज मारो सोनीड़ा रोवऽ सारी रात।
मामी की नजर लागी मारा सोनीड़ा,
रोवऽ सारीरात।
हिल मिल पाळनो बंधाड़ो मारा शिवाजी।
आज मारो सोनीड़ा रोवऽ सारी रात।
मावसी की नजर लागी मारा सोनीड़ा,
रोवऽ सारीरात।
हिल मिल पाळनो बंधाड़ो मारा शिवाजी।
आज मारो सोनीड़ा रोवऽ सारी रात।
फुई की नजर लागी मारा सोनीड़ा,
रोवऽ सारीरात।
हिल मिल पाळनो बंधाड़ो मारा शिवाजी।
आज मारो सोनीड़ा रोवऽ सारी रात।
काकी की नजर लागी मारा सोनीड़ा,
रोवऽ सारी रात।

-हिल-मिलकर मेरे शिवाजी पालना बधाओ। शायद नाना की नजर मेरे बालक
को लगी है, जिसके कारण मेरा बालक पूरी रात रोता है। इसी प्रकार दादा, माँ,
मामा, मामा, मौसी, बुआ और काकी की नजर लगने का उल्लेख किया गया है।