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भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

परतम सुमरो राम आओ म्हारा गणपति देवता।
परतम सुमरो राम आओ म्हारा गणपति देवता।
सुपड़ा दाळा तुम्हारा कान, आओ म्हारा गणपति देवता।
सुपड़ा दाळा तुम्हारा कान, आओ म्हारा गणपति देवता।
दिवला दाळा तुम्हारा कान, आओ म्हारा गणपति देवता।
दिवला दाळा तुम्हारा कान, आओ म्हारा गणपति देवता।
धारण ढाळा तुम्हारा पांय, आओ म्हारा गणपति देवता।
धारण ढाळा तुम्हारा पांय, आओ म्हारा गणपति देवता।
कंकु चोखा ती तुम्हारी पूजा करां, आओ म्हारा गणपति देवता।
कंकु चोखा ती तुम्हारी पूजा करां, आओ म्हारा गणपति देवता।

-सर्वप्रथम गणेशजी आपका स्मरण करते हैं, आपके कान सूपड़े के समान, आँखें
दीपक के समान और पैर खम्भों के समान हैं। कुंकुम-चावल से आपकी पूजा करें,
आप पधारिये।