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सांवग्या तारि पावलि तिरि-विरि वाजे।
सांवग्या तारि पावलि तिरि-विरि वाजे।
होठ तारो टुट्लो ने हात तारो ढोटल्यो।
होठ तारो टुट्लो ने हात तारो ढोटल्यो।
मेलों तारा लाकड़ा चालो काहाँ वाले।
मेलों तारा लाकड़ा चालो काहाँ वाले।
डोला तारा फुदला, कान्टा तारा टुट्ला।
डोला तारा फुदला, कान्टा तारा टुट्ला।
साम्हले काहाँ, मेलों तारा लाकड़ा।
चालो काहाँ वाले।
बइल्या तारा दाल खिचड़ि खाय, पावर्यो लार घुट्ये।
मेल दउं तारा लाकड़ा, रखड़ो उडिग्यो।
सांवग्या तारि पावलि तिरि-विरि वाजे।
मेल दउं तारा लाकड़ा, घणीं भंुडि वाजे।
-सावां लेकर आने वालों को सांवग्या कहते हैं। सांवग्या बाँसुरी बजाते हैं।
सावां बधाते समय गीत में कहा गया है कि तुम्हारी बाँसुरी अच्छी नहीं बज रही है। तेरा होंठ टूटा हुआ और हाथ भी टूटा है, जिसके कारण बाँसुरी की धुन कहाँजा रही है? तेरी आँखें फूटी हुई हैं, कान टूटे हुए हैं, तू सुनता किधर है। तेरे बैल,दाल और खिचड़ी खा रहे हैं। गाड़ीवान लार घुटक रहा है। अन्त में कहा गया है कि बाँसुरी बहुत खराब बज रही है।
सावां भरने के दिन दोनों पक्ष के लोग विवाह की तिथि निश्चित कर लेते हैं। चन्द्रमा और तारों को देखकर मुहूर्त्त स्वयं निकाल लेते हैं। निश्चित तिथि को लड़के-लड़की को बाने बिठाते हैं।