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"निहाली गीत / 1 / भील" के अवतरणों में अंतर

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भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

गड़ो-गड़ो आइग्या, भाया ना साला हिजड़ा ने गधड़ा॥
लदो-लदो बस्या, भाया ना साला हिजड़ा ने गधड़ा॥
टेघड़ा ने टेघड़ा भाले, भाया ना साला हिजड़ा ने गधड़ा॥
माकड्या ने माकड्या भाले, भाया ना साला हिजड़ा ने गधड़ा॥

-वधू के घर महिलाएँ यह हास्य गीत गाती हैं-

एकदम आ गये भाई के साले हिजड़े और गधे। आकर खटिया पर लद गये भाई
के साले हिजड़े और गधे। कुत्तों के समान देख रहे हैं, बन्दर के समान देख रहे हैं।