भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"निहाली गीत / 1 / भील" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKLokRachna |भाषा=भील |रचनाकार= |संग्रह= }} <poem> गड़ो-गड़ो आइग्य...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
13:06, 5 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण
भील लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
गड़ो-गड़ो आइग्या, भाया ना साला हिजड़ा ने गधड़ा॥
लदो-लदो बस्या, भाया ना साला हिजड़ा ने गधड़ा॥
टेघड़ा ने टेघड़ा भाले, भाया ना साला हिजड़ा ने गधड़ा॥
माकड्या ने माकड्या भाले, भाया ना साला हिजड़ा ने गधड़ा॥
-वधू के घर महिलाएँ यह हास्य गीत गाती हैं-
एकदम आ गये भाई के साले हिजड़े और गधे। आकर खटिया पर लद गये भाई
के साले हिजड़े और गधे। कुत्तों के समान देख रहे हैं, बन्दर के समान देख रहे हैं।