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भील लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
बेनो कुड़छी पर बठो कड़ा मांगे।
बेनो कुड़छी पर बठो तागल्या मांगे।
बेनो कुड़छी पर बठो हार मांगे।
बेनो कुड़छी पर बठो मूंद्या मांगे।
बेनो कुड़छी पर बठो हाटका मांगे।
बेनो कुड़छी पर बठो बेड़ि मांगे।
- दुल्हन के समान दूल्हा भी गहने पहनता है, उनका वर्णन गीत में किया गया है-
बना कुर्सी पर बैठा हुआ कड़े माँग रहा है। तागली, हार, बीटियाँ, हाटका, बेड़ी माँग रहा है। कड़े हाथ में पहनने का, तागली गले में पहनने का, हार गले में पहनने की, हार गले में पहनने की, बीटी अँगुली में पहनने का, हाटका बाँह पर पहनने का और बेड़ी पैर में पहनने का आभूषण है।