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15:55, 5 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

काकड़ी नो डीरो टरका करे।
आइणि नो माटि टरका करे।
काकड़ी नो डीरो टरका करे।
मंगली नो माटी टरका करे।
काकड़ी नो डीरो टरका करे।
सुमली नो लाड़ो टरका करे।

- ककड़ी का डीरा टर-टर कर रहा है, समधन का पति टर्रा रहा है। ककड़ी का डीरा टर-टर कर रहा है, मंगली का खसम टर्रा रहा है। ककड़ी का डीरा टर-टर रहा है, सुमली का पति टर्रा रहा है।