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"विवाह गीत / 14 / भील" के अवतरणों में अंतर

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भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

पिपलियो पान झलके वो नानी बेनुड़ी, पिपलियोपान झलके।
मनावर्यो हाट जासुं वो नानि बेनुड़ी।
खारिक खोपरों लावसुं वो नानि बेनुड़ी।
बागुन हाट जासूं वो नानि बेनुड़ी।
खर्या-दाल्या लावसुं वो नानुड़ि बेनी।
जोबट्यो हाट जासूं वो नानुड़ि बेनी।
माजम ने हार काकणिं, लावसुं वो नानुड़ि बेनी।

- पीपल का पान चमक रहा है छोटी बनी। मनावर के हाट जावेंगे छोटी बनी और
खारक-खोपरा लाएँगे। बाग के हाट जायेंगे और सेव-चने जायेंगे। जोबट के हाट
जाएँगे और माजम व हार-कंगन लाएँगे।