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भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

तारि माय नो काम कुण करसे वो बूढ़ी लाड़ि।
करसे करसे ने घड़िक रड़से वो मारि बूढ़ी लाड़ि।
तारि माय ना रूटा कुण करसे वो बूढ़ी लाड़ि।
करसे करसे ने घड़िक रड़से वो मारि बुढ़ि लाड़ि।

- दुल्हन से वर पक्ष की महिलाएँ गीत में कह रही हैं कि बूढ़ी लाड़ी तेरी माँ का काम कौन करेगा? वही करेगी और थोड़ी देर रोएगी। तेरी माँ की रोटियाँ कौन बनाएगा? वही बनाएगी और थोड़ी देर रोएगी।