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भील लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
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तारा घर मा हिरे भर्यो हिडोलो,
हिचणे वालि काहाँ चालि वो बेनी।
तारा भाइ काजे हेलि-मेलि लेजी वो, हिचणावालि,
काहाँ चालि वो बेनी।
तारि भोजाइ के हेलि-मेलि वो हिचणावालि,
बेनी काहाँ चालि वो।
तारा बावा के हेलि-मेलि लेजी वो हिचणावालि,
बेनी काहाँ चालि वो।
तारि माय काजे हेलि-मेलि लेजि वो हिचणावालि,
बेनी काहाँ चालि वो।
- वर-वधू को विदा करते समय यह गीत गाया जाता है-
वधू से कहा गया है कि तेरे घर मंे रेशम जड़ित झूला है, उसमें झूलने वाली बनी अब कहाँ चली? जाते समय भाई से मिल लेना, भावज से मिल लेना, पिता से मिल लेना और माता से मिल लेना।