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"विवाह गीत / 17 / भील" के अवतरणों में अंतर

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भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बइण आवि ने काइ लाइ रे, मइसुरनी।
मांदल लावनी ने तली भूली रे, भंवरजी।
फूवो आयो ने काइ लायो रे, भंवरजी।
ढोलग्या लायो ने, फेफ्र्या भूल्यो रे भंवरजी॥

- विवाह गीत में दूल्ह से पूछा गया है कि- बहन, फूफी (बुआ) और फूफा आये हैं, वे तुम्हारे लिये क्या-क्या लाये हैं? बहन आई है माँदल लाई है पर माँदल के साथ बजने वाली थाली भूल गई है। फूफा ढोल लेकर आये हैं लेकिन ढोल के साथ बजने वाली शहनाई (फेफर्या) भूल आये हैं।